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मांगने का दस्तूर है जनाब ,कोई मंदिर के अंदर मांग र

मांगने का दस्तूर है जनाब ,कोई मंदिर के अंदर मांग रहा तो कोई बाहर।
नवाबी का चोला पहनकर बैठे है सब यहां ,हर कोई यहां एक पहचान मांग रहा है।
फटे कपड़ों में कोई अमीरी दिखा रहा है तो कोई फटी साड़ी में महीनों बिता रहा है।                                                                                                                     सबको दुनिया पर छा जाने का जुनून है सवार।
एक दिन का खाना देकर ,उम्रभर का एहसान जता गया वो 
उस गरीब को भी खुद पर नाज हो गया ,जब एक महल वाला उसका हमदर्द सा हो गया।
वाह रे इंसान तूने भी क्या social media जादू बना गया।

©Mrinal Malviya
  #woamirikachola