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जब भी देखती हूं अपनी बचपन वाली अलमारी में, तो मुझे

जब भी देखती हूं अपनी बचपन वाली अलमारी में,
तो मुझे याद आते हैं वो सारे लम्हें जिन्हें मैं सच में जिया करती थी,,
वो प्यारा वक्त जिसमें उदासी की कहीं जगह ही नहीं थी,
थी तो बस खुशियां और बेशकीमती भावनाएं,
ऐसा नहीं था कि तब सब कुछ सही था,
तब भी परेशानियां तकलीफें होती थी 
लेकिन तब बचपन वाली एक अलग ही ताकत थी 
जो कभी भी परेशानियों,चिंताओं और दुख को खुशियों पर हावी नहीं होने देती थी,,,
ख़ैर जो भी था पर वो वक्त बहुत अच्छा और सबसे हसीन था,
जो अब बस एक प्यारी सी याद बनके रह गया है 
जिसमें वक्त की ऐसी धूल जम गई है 
जिसे बड़ी फुरसत के साथ साफ़ करने पर ही वो सब दिखाई देता है,,,
याद ही सही पर तकलीफ़ वाली नही खुशियों वाली है,
जो दर्द नहीं देती, 
बल्कि देती है एक प्यारी सी मुस्कुराहट 
और आंखों में खुशियों वाली नमी😊📓
 वो बचपन वाली अलमारी...✍️

©Geetu pandey
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