पलट आ ओ मुसाफिर,अब दूर हो रहा है सब्र का फलसफा,चूर हो रहा है जोश में क्या होश रखता था तू मशहूरी में क्यूँ, खजूर हो रहा है बदल गया है तू,उलफत खफा है इंसान से तू बंदे, कोहनूर हो रहा है माँ का दिल,मरजी परवरदिगार का मालिक बन के तू,बेअसर नूर हो रहा है लौट जा,मंजिल नहीं मिली तुमको नेक राहों के शब्बा में,नया मंजूर हो रहा है नजरों में तेरे बुरा सही,आदमी बुरा नहीं हूँ दिल का,रुक जा ओ जाने वाले,रुक जा💟 पलट आ ओ मुसाफिर,अब दूर हो रहा है सब्र का फलसफा,चूर हो रहा है जोश में क्या होश रखता था तू मशहूरी में क्यूँ, खजूर हो रहा है