पल्लव की डायरी सभ्यताओं की बुनियाद हिला कब हम जंगली हो गये मन्दिर मस्जिद ठोर ठोर बनाकर भी नैतिक मूल्यों से दूर हो गये इबादते और प्रार्थनायें थी सब ईश्वर और रब के लिये मगर हम सब दुश्मनी के शिकार हो गये भाई चारे हमारे सियासतों के हवाले हो गये बुनियादी समस्याएं जस की तस है मगर सब राजनीति के शिकार हो गये प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" बुनियादी समस्याएं जस की तस है