किश्तों की जिंदगी खुशियां ढूंढने आती है, मेहजबीन शिकायतें अक्सर मुस्कुरा के जाती है, ये सिलवटें जो चेहरे पे रुख मोड़ने लगे है, अब करीबी भी मतलब से मुझे छोड़ने लगे है, रातों का साथ अब करीब ले जाता है मुझे , और दस्तूर मेरे ही हालातों को तोड़ने लगे हैं, कभी रुकने की मंशा होती है तो सफर पे निकल जाऊं, खुद के ठहराव में मैं शायद ही खुद को पाऊं। ©Abhiraj Kumar khud ko पाऊं।। #Happy