____बचपन____ कागज के टुकड़े पर लिखता कुछ सपनें जो मेरे थे कागज की नाव चलाता सब बच्चे मुझको खेरे थे बिन डूबे ओझल हो जाए वो कामयाबी के ढेरे थे बेपरवाह हुए माना शायद बचपन के दिन मेरे थे अपने आप में मगन हुए दुनिया के दूर अंधेरे थे खेलना खाना और मौज उड़ाना वो दिन ही तो मेरे थे गिल्ली डंडा आंख मिचोली अटपटे नाम भी मेरे थे हाँ वो बचपन के दिन मेरे थे ✍-(suyash jain) #childhood #memories #love #child #frinedship #friends #instagram flw-@suyashjain2808