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कुछ इस तरह गुजरा तेरा बचपन भी शांडिल्य, तु नासमझ ह

कुछ इस तरह गुजरा तेरा बचपन भी शांडिल्य,
तु नासमझ हो के भी सब समझ गया ।
- केशव झा शांडिल्य shyari by Keshav Jha
कुछ इस तरह गुजरा तेरा बचपन भी शांडिल्य,
तु नासमझ हो के भी सब समझ गया ।
- केशव झा शांडिल्य shyari by Keshav Jha