मन करता है उँगली पकड़ूँ , और सिखाऊं चलना नन्हें पैरों की आहट से , झूमे मेरा अंगना बचपन की यादों को फिर से, तेरे संग में जी लूँ कोमल हाथों से मिट्टी ले, थोड़ी थोड़ी लीलूं तुम बोलो मैं भी दोहराऊं कागा, लोटी, पप्पा तुतलाहट से गूँजे मेरे, घर का चप्पा चप्पा चिन्ता और थकाबट भूलूं , खो दूँ सारा गुस्सा एक बार धीरे से जब तुम, कह दो मुझको पापा सांझ ढले तारों की छइयां, किस्से रोज सुनाऊँ मीठे मीठे गीत कभी, लोरी गा तुझे सुलाऊँ हसरत अभी अधूरी, आंगन भी है मेरा सूना ईश्वर मुझको ये बतला क्यों, ये सुख मुझसे छीना कब गूंजेगी किलकारी, कब होगा आंगन पूरा बिन बच्चे के पिता बने, ये जीवन लगे अधूरा ©मनोज कुमार "मँजू" #manojkumarmanju #manju #hindipoems