#OpenPoetry "मेरे मम्मी-पापा" वो मुझसे कितनी उम्मीदें लगाए बैठे। अपना सब-कुछ दाओ पे लगाए बैठे।। हार मानु भी तो कैसे मानु,वो मेरी एक जीत का इंतजार किये बैठे।। Nilam jat #मेरे मम्मी-पापा