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मेरी बाहों में सोई थी, कहीं अब सो ना पाओगी। बिछड़क

मेरी बाहों में सोई थी, कहीं अब सो ना पाओगी।
बिछड़कर रो रहा हूं मैं, मगर तुम रो ना पाओगी।
मुझे तुम कर गई तनहा मगर अब आज ये सुन लो।
जनमभर जानेजां तुम भी किसी की हो ना पाओगी।

©अभिजित त्रिपाठी #शायरी
#कविता
#दर्द
#गुस्सा
मेरी बाहों में सोई थी, कहीं अब सो ना पाओगी।
बिछड़कर रो रहा हूं मैं, मगर तुम रो ना पाओगी।
मुझे तुम कर गई तनहा मगर अब आज ये सुन लो।
जनमभर जानेजां तुम भी किसी की हो ना पाओगी।

©अभिजित त्रिपाठी #शायरी
#कविता
#दर्द
#गुस्सा