सरसों फूली पिली पिली , गेहूं की बालियां सपनीली, पेंच दे रही ज़िन्दगी लेकिन , उड़ी अपनी पतंग रंगीली । (१) आओ मिलकर ख़ाब गिनाए, किसके ज्यादा किसके कम । उम्मीदों की डोर से बंधकर, उड़े अपनी पतंग हरदम । (२) हैं ज़िन्दगी गर पथरीली , तो पत्थरचट्टा क्यों न उगाये । सबकों ख्वाहिश है फूलों की , हम तुम काँटो को रिझाये । (३) है धुंआ अगर ज़िन्दगी तो , इसको छल्लों में उड़ाए । ज़िन्दगी है अगर पतंग तो , सातवे आसमा पर उड़ाए । (४) जीवन सुखदुख भरी टोकरी , अपनी पसंद की खुशियां छाँटे । जिस तक न पहुँची है अब तक , उस तक खुशियो के पल बांटे , तिलगुड़ लड्ड़ू , गुझिया बांटे ।। (५) (आप सब स्नेहीजन को मकर संक्रांति , पोंगल , बिहू , लोहड़ी पर्व की हार्दीक हार्दीक शुभ कामनाएं ) ✍ राजेश "राणा" ©Rajesh Raana happy Makar Sankranti