अज़नबी रास्तों पर हर दफ़ा कोई अपना मिलेगा ये जरूरी तो नही अनजानी डगर पर हर दफ़ा रोशनी मिलेगी ये जरूरी तो नही अनदेखी मंज़िल के रास्ते मे हर दफ़ा सफ़लता मिलेगी ये जरूरी तो नही दुनियादारी के खेल में हर दफ़ा मान मिले ये जरूरी तो नही नृशंसता के दौर में हर दफ़ा इंसान समझा जाऊँगा ये जरूरी तो नहीं ♥️ Challenge-500 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ इस विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।