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दिल दिल होता है समंदर से भी गहरा और आकाश की तरह फै

दिल दिल होता है समंदर से भी गहरा
और आकाश की तरह फैला हुआ।
सिर्फ एक ही इंसा क्यूं
समा सकता है इसमें सारा जहां।
फिर क्यूं एक इंसा के न मिलने पर
इस बेशकिमती दिल को तोड़कर लोग
बेदिल बन जाते हैं।
यह तो सरासर अन्याय है
खुद के साथ और अपनों के साथ। फिर क्यूं
दिल दिल होता है समंदर से भी गहरा
और आकाश की तरह फैला हुआ।
सिर्फ एक ही इंसा क्यूं
समा सकता है इसमें सारा जहां।
फिर क्यूं एक इंसा के न मिलने पर
इस बेशकिमती दिल को तोड़कर लोग
बेदिल बन जाते हैं।
यह तो सरासर अन्याय है
खुद के साथ और अपनों के साथ। फिर क्यूं