बचपन और लुका-छिपी वो दिन वो यादें बचपन की बारसातें कागज़ की नाव, खेलने का चाव, वो लड़ते हुए रोना, और हस्ते हुए मिल जाना, knhi गुम सा हो गया। वो रिवाज, मनाने का, वो अंदाज़ सब कुछ बताने का, knhi गुम सा हो गया। कुछ बाते पुरानी थी, पर काफी सुहानी थी, राते भी कितनी शांत, और सुबह मस्तानी थी, सब कुछ, knhi गुम सा हो गया। वो दिन वो यादें बचपन की बारसातें कागज़ की नाव, खेलने का चाव, वो लड़ते हुए रोना, और हस्ते हुए मिल जाना, knhi गुम सा हो गया। वो रिवाज,