जिम्मेदारियों के लिफाफे में लिपटा प्यार..... खिड़की दरवाजे बंद देखकर वह सोच में पड़ जाता होगा मुझे बालकनी में ना पाकर वह मायूस हो जाता होगा वह पुराना मोहल्ला उसे बहुत याद आता होगा ना चाहते हुए भी आंखों का कोर नम जाता होगा दिल को संभाले अब उससे रहा नहीं जाता होगा मुझसे मिलने को वह अब भी तड़प जाता होगा फोन की घंटी बजते ही दिल में हलचल मच जाता होगा मेरा फोन ना पाकर दिल उसका बेचैन हो जाता होगा जिम्मेदारियों से लदकर जीना सीख रहा होगा लेकिन अकेले होते ही मेरी यादों को याद कर रहा होगा पता है उसे ,मुझे भूलना उसके लिए आसान नहीं होगा फिर भी मुझे भुलाने की कोशिश वह लगातार कर रहा होगा मोहब्बत में मेरे लिए दिल उसका अब भी धड़कता होगा पर मर्यादाओं की बेरियों में बंध कर वह जीना सीख रहा होगा। ©Shalinee Srivastava #जिम्मेदारियों_के_लिफाफे_में_लिपटा_प्यार..….