अब तो गई..... वो मेरी डाट पर बदल गयी, वो सीधी थी अब मचल गयी। ना साख देखी ना बात देखी, हस्ते हस्ते वो फिसल गई।। मैं देख सकु उसको हर रोज़, यही आस गड़ाए बैठा हूँ। वो शाम को हल्की धूप थी, बारिश के बाद वो खिल गयी।। मेरी ज़िंदगी की वो ख़्वाहिश है, अब हस्ते हस्ते बस निकल पड़ी।। #munasif_e_mirza #poetry #love #nikal