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राजनीति में हर कोई मुखौटा लगाता है । कुर्सी की चाह

राजनीति में हर कोई मुखौटा लगाता है ।
कुर्सी की चाह में हर हथकंडा अपनाता है ।
ईमान व धर्म की चिता में रोज लगती आग 
कुर्सी का दीवाना नैतिकता बेच कर खाता है ।
पाला बदलने में वो इस कदर माहिर होता 
बिन पेंदी के लोटे सा कहीं भी लुढ़क जाता है ।
चाल चरित्र और चेहरा हर किसी का भिन्न भिन्न 
इस दलदल में जो फंसा फिर निकल नहीं पाता है ।

©Rajnish Shrivastava
  #aaina