खामोशी से बिछड़ना आ गया है, हमें खुद से उजड़ना आ गया है। किसी को बुरा कहते नहीं हम, हमें भी पलटना अब आ गया है। याद में किसी की क्यों रोए हम, हमें भ्रमर सा जलना आ गया है। मखमल पे खाई जो ठोकर हमने, हमें कांटों पर चलना आ गया है। ©NanduVistar खामोशी से बिछड़ना आ गया है, हमें खुद से उजड़ना आ गया है। किसी को बुरा कहते नहीं हम, हमें भी पलटना अब आ गया है। याद में किसी की क्यों रोए हम, हमें भ्रमर सा जलना आ गया है।