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अभिलाषाओं की सीमाएं हम नहीं चाहते हैं कोई नैराश्य

अभिलाषाओं की सीमाएं 
हम नहीं चाहते हैं कोई नैराश्य पराजय बन जाये,
हम नहीं चाहते हैं कोई संगीत काल की शय गाये.
हम नहीं चाहते हैं कोई नीरव पीड़ा का ताप सहे,
हम नहीं चाहते हैं कोई आदर्शों को अभिशाप कहे.

हम नहीं चाहते हैं कोई मानवता स्वयं विभेदी हो,
हम नहीं चाहते हैं कोई तूरीण स्वयं शिखभेदी हो.
अभिलाषाओं की सीमाएं 
हम नहीं चाहते हैं कोई नैराश्य पराजय बन जाये,
हम नहीं चाहते हैं कोई संगीत काल की शय गाये.
हम नहीं चाहते हैं कोई नीरव पीड़ा का ताप सहे,
हम नहीं चाहते हैं कोई आदर्शों को अभिशाप कहे.

हम नहीं चाहते हैं कोई मानवता स्वयं विभेदी हो,
हम नहीं चाहते हैं कोई तूरीण स्वयं शिखभेदी हो.