वहम में इतना कि अपना ही किरदार क़यामत कर आए इस-क़दर गुज़रे वहशत से कि आँखों को भी ख़जालत कर आए मुनासिब लग नहीं रहा था लफ़्ज़ दफ़्नाना ज़ेहन में हर बार मसलन हम करते भी क्या सो खुद से ही बगावत कर आए चाह कर भी मार न सका मिरा दुश्मन निहत्था जान कर मुझे हजार बारूदो के बावजूद उसे इक मुस्कुराहट से बे-ताक़त कर आए यूँ तो मलाल करने को पर करूँ क्यूँ भला मैं किसी पल जब सारे दर्द को रखने खुद ही को इक इमारत कर आए गले लगा कहता रहा इक जमाने से जिसे अपना जान-ए-मन ज़रा सा नब्ज़ बिगड़ते वो मिरे मौत के लिए इबादत कर आए हमने तो अदब से ता'रीफ़ में लिखा था परीज़ाद उसे कामिल वो नासमझ इबारत पे मसअला कर फ़ुज़ूल ही हमसे अदावत कर आए ।— % & क़यामत - विनाश , बर्बाद , उथल पुथल वहशत - पागलपन ख़जालत - लज्जित ज़ेहन - मन मसलन - अर्थात निहत्था - बिन अस्त्र शस्त्र के बे-ताक़त - शक्तिहीन , हरा देना मलाल - पश्चाताप