आते आते ज़ुबाँ पे बात आ गई है मेरी... बनके बादल उसपे चाहत छा गई है मेरी... वो जो कहता था लतीफ़ा इस मोहब्बत को वस्ल की कोशिशें उसको भी भा गयीं है मेरी... उन निग़ाहों का वो मिलना और ठहर जाना जैसे सदियों का चंद लम्हों में गुज़र जाना रास उसको निग़ाह-ए-उल्फ़त आ गयी है मेरी बनके बादल उसपे चाहत छा गई है मेरी... यूँ तो हमने है गुज़ारी रात फ़ुरक़त में... रहे रौशन तेरी दुनिया अब मोहब्बत में... दुआएं ऐसी अब लबों पर आ गयीं है मेरी आते आते ज़ुबाँ पे बात आ गई है मेरी... बनके बादल उसपे चाहत छा गई है मेरी... -akdubey2711 ©अंदाज़-ए-बयाँ