यहां लोग बोलते हैं कि सब को बोलने की अभिव्यक्ति है जिसको जो बोलना है वह खुल कर बोल सकता है । क्या वाकई में ऐसा है लगता तो नहीं ? यहां मैं बात कर रही हूं सुशांत की , 1 साल से ऊपर हो गया उसको अभी तक इंसाफ नहीं मिला । जो भी उसके लिए बोलने जाता है उसका मुंह फिर क्यों बंद करा दिया जाता है । अब जब बड़े इंसान के साथ ऐसा होता है तो सोचो छोटों के साथ क्या होता होगा , कल सीबीआई के दफ्तर में भी आग लग गई अब वह लगी की लगाई गई पता नहीं । कौन दोषी कौन दोषी नहीं वह भी नहीं पता , अब किसकी बातों पर भरोसा करें किसकी बातों पर नहीं वह भी नहीं पता । कहने को तो हम स्वतंत्र देश के स्वतंत्र नागरिक हैं , पर एक इंसान जिसको उसके घर में घुसकर मारा जाता है । उसके इंसाफ का अभी तक कोई पता नहीं और आगे मिलेगा कि नहीं पता नहीं । क्योंकि जिस तरीके से जांच चल रही है उसको देखकर तो कुछ नहीं लग रहा । यहां सच कोई बोलना नहीं चाहता और झूठ को तोड़ मरोड़ के सच दिखाया जाता है । जिसका पैसा उसी की लाठी यह दिखाया जाता है , सच बोलने वाले का ऐसा ही अंत होता है यह बताया जाता है । फिर कैसा देश फिर कैसी स्वतंत्रता जहां अभी तक एक बेगुनाह को इंसाफ नहीं मिला , सब ने अपने अपने फायदे के लिए उसका इस्तेमाल किया और अभी भी कर ही रहे हैं । लोगों को अब आप क्या संदेश देना चाहते हो खुद पर से लोगों का विश्वास क्यों उठाना चाहते हो , कुछ ऐसा काम करो कि लोगों को आप पर विश्वास हो । अपनी ही न्यायपालिका पर फिर से भरोसा हो फिर से कह सके यह वही सोने का देश और यह वही हम हैं जो इस भारत देश में रह रहे हैं । ©Short And Sweet Blog #OneSeason #सुशांत_सिंह_राजपूत #सुशांतसिंहराजपूत #सुशांत