हिम्मत की मिसाल (लघुकथा) अनुशीर्षक में👇 आज सुबह से निर्मल उदास था, आज कहाँ जाएगा नौकरी के लिए, घर में किसी को पता नहीं था की उसके नौकरी छूट गयी है। माता पिता की दवा लानी है आज और जेब पूरी खाली, अगर निर्मल अपने नौकरी छूटने की बात बता दे ,तो शायद घर में बीमारी और बढ़ जायेगी आखिर नयी चिंता का जन्म हो जाएगा...ये सोचते सोचते जाने कबतक वो सड़क के किनारे भ्रमित सा खडा रहा,उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। उसके सामने ही एक वृद्ध व्यक्ति आया जिसकी आयु कोई 60-65 वर्ष रही होगी और एक कपड़ा बिछा कर सड़क पर बैठ गया बड़े से झोले में से आलू की सब्जी निकाली जिसे वो "कचालू" का नाम दे रहा था,और कुछ कचौरियां वही सजाकर बैठ गया। उसी समय स्कूल छूटा, बच्चों ने आकर उसके पास भीड़ लगा ली, देखते देखते उसकी दूकान का सारा सामान बिक गया और वो वृद्ध अपना सामान समेटते हुए उठ खडा हुआ। निर्मल अवाक खड़ा सोचता रहा ,क्या इतना आसान है काम करना और पैसे कमाना आज उसे हिम्मत जुटानी ही पड़ेगी उसके सामने से अनिश्चितता की धुंध छट चुकी थी और उसने निश्चय कर लिया था कि अपनी नौकरी की बात घर में बताकर लेकिन दुःख के साथ नहीं सकारात्मक तरीके से उसे खुद का कुछ काम करना है। अब वो अपने मन से छोटे- बड़े काम की शर्मिंदगी हटाकर अपने परिवार के विषय मे सोचना चाहता था, उसके सारे संशय समाप्त हो चुके थे,उसे उस वृद्ध व्यक्ति की हिम्मत देखकर एक अलग स्फूर्ति एक अलग ताक़त आ गयी थी,उसका लक्ष्य उसके आंखों के आगे स्पष्ट था। उसने निश्चय कर लिया था कि अपनी जमा पूंजी से वो कोई काम शुरू करेगा और अपने परिवार की जिम्मेदारी सकारात्मक तरीके से उठाएगा। वो वृद्धि व्यक्ति निर्मल के लिए हिम्मत की मिसाल था। -समाप्त-