मुझे सर्दियों से नहीं ठंडे पढ़ते पाँव से डर लगता है..! बैचनियाँ समेट लेता हूँ पर तन्हाई की छाँव से डर लगता है ..! चोट खाने से अब इतना ख़ौफ़ लगता नहीं बस जो भरता नहीं कभी, उस घाव से डर लगता है..! डर लगता नहीं वैसे अब ताज़े फूलों से मुझे मुझे तो बीच किताबों के, सुर्ख गुलाब से डर लगता है ..! मुझे डर नहीं लगता दूर तलक साथ चलने से अकेले लौटने पर मिलने वाले, रास्ते सुनसान से डर लगता है..! ©KUSHAL #sadak #सर्दियां #Poetry #nojotohindi MohiTRock F44 अदनासा-