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वक्त के साथ गुपतगू कर ली वक्त निकालकर वक्त के सा

वक्त के साथ गुपतगू कर ली


वक्त निकालकर वक्त के साथ कुछ गुपतगू कर ली
कुछ उसके दिल की सुन ली कुछ अपनी कह दी
हाल ये दिल सुनकर उसका प्यार ओर बढ़ गया
पहले से ज्यादा याद हम आते है उसने दस्या
हम भी कहा चुप रहने वाले थे दिल खोल दिया
अपने अरमानों को कब तक छुपाते 
तुम्हारे अंदाज हमको लुभाते
पगली हम भी तुम से प्यार करते है बोल दिया
उसने सिर को झुकाया और मुस्कराकर बोली
चांद हो तुम में चांदनी
यह कहकर उसने भी हा बोल दी
हाथ रखा मैने दिल पे और संभाल ली
वक्त के साथ गुपतगू कर ली
बात ओर आगे बढ़ गई 
सीधे शादी तक पहुंच गई
उसने कहा हमसफ़र बनोगे
मै थोड़ा झीजका और
कहा लोग क्या कहेंगे
मां बाप की क्या होगी मर्जी
सुनकर यह सब उसने कहा
क्या तुम सिर्फ हो भोग विलास के गर्जी
मेरी पवित आत्मा तुम्हारे लिये तड़पती
और तुम कहते हो लोग क्या कहेंगे 
बताओ तुम्हे में अच्छी नहीं लगती
या कोई ओर पसंद कर ली
सुनकर में यह सब हो गया पानी पानी
होगा जो देखा जायेगा 
दुनिया कोन सा साथ निभायेगी
सोचकर मैने भी शादी कर ली
कहे शिवराज सुनो भाई
यह दुनिया प्यार के लिये बनाई
प्रेम दिल से करो शरीर से नहीं
मैने वक्त के साथ गुपतगू कर ली
                      
 शिवराज खटीक वक्त के साथ गुपतगू कर ली
वक्त के साथ गुपतगू कर ली


वक्त निकालकर वक्त के साथ कुछ गुपतगू कर ली
कुछ उसके दिल की सुन ली कुछ अपनी कह दी
हाल ये दिल सुनकर उसका प्यार ओर बढ़ गया
पहले से ज्यादा याद हम आते है उसने दस्या
हम भी कहा चुप रहने वाले थे दिल खोल दिया
अपने अरमानों को कब तक छुपाते 
तुम्हारे अंदाज हमको लुभाते
पगली हम भी तुम से प्यार करते है बोल दिया
उसने सिर को झुकाया और मुस्कराकर बोली
चांद हो तुम में चांदनी
यह कहकर उसने भी हा बोल दी
हाथ रखा मैने दिल पे और संभाल ली
वक्त के साथ गुपतगू कर ली
बात ओर आगे बढ़ गई 
सीधे शादी तक पहुंच गई
उसने कहा हमसफ़र बनोगे
मै थोड़ा झीजका और
कहा लोग क्या कहेंगे
मां बाप की क्या होगी मर्जी
सुनकर यह सब उसने कहा
क्या तुम सिर्फ हो भोग विलास के गर्जी
मेरी पवित आत्मा तुम्हारे लिये तड़पती
और तुम कहते हो लोग क्या कहेंगे 
बताओ तुम्हे में अच्छी नहीं लगती
या कोई ओर पसंद कर ली
सुनकर में यह सब हो गया पानी पानी
होगा जो देखा जायेगा 
दुनिया कोन सा साथ निभायेगी
सोचकर मैने भी शादी कर ली
कहे शिवराज सुनो भाई
यह दुनिया प्यार के लिये बनाई
प्रेम दिल से करो शरीर से नहीं
मैने वक्त के साथ गुपतगू कर ली
                      
 शिवराज खटीक वक्त के साथ गुपतगू कर ली