निश्वार्थ करता जो कर्म अपने; उसे किसान कहते हैं। ना चाह कभी किसी से कुछ; उसे किसान कहते हैं । दर्द सहने का पर्याय है जो; उसे किसान कहते हैं । जिसके दम पर दुनिया का वजूद है; उसे किसान कहते हैं ।