एहतिमाल सिर्फ एहतिमाल जाने क्योँ , हर रिश्ते में ज़ीस्त हलाल जाने क्योँ , ख्वाहिश है ज़िस्म की फ़क़त , रूह मर रही है हर बार जाने क्योँ , तेरे ज़िन्दगी के तौर से इंसान देख, ऊपर वाला भी अवाक जाने क्योँ , कैसी बनी है पैक़र समाज में तेरी , हर मरासिम उठाता सवाल जाने क्योँ , एहतिमाल सिर्फ एहतिमाल जाने क्योँ , ज़हनियत इस क़दर है गुस्ताख़ गोया , तकल्लुफ़ सा है हर ख्याल जाने क्योँ , एहतिमाल सिर्फ एहतिमाल जाने क्योँ , हर रिश्ते में ज़ीस्त हलाल जाने क्योँ , #अभय एहतिमाल = शंका ज़ीस्त = जीवन तौर = ढंग अवाक = स्तब्ध पैक़र = आकृति मरासिम = रिश्ता ज़हनियत = थिंकिंग तकल्लुफ = औपचारिकता #nojoto #RVD19