"समझ न आए मै क्या करूं" कोई नशा करूं या ख़ता करूं, समझ न आए मै क्या करूं, दुआ करूं या बददुआ करूं, है लम्हा 2 नाज़ुक मै क्या करूं, मै गुम हो गया हूँ, मै खो गया हूँ, मै कैसे जागूं मै क्या करूं, है दुनिया रुठी है क़िस्मत फूटी, जो तुम भी रूठे तो मै क्या करूं, न चैन दिल को न कुछ खुशी है, हरारत है ग़म की मै क्या करूं, ©A. R. Zaidi मैं क्या करूं