लगता है सख्त चादर ने रेशम से चेहरे को ढँक रखा है इसलिए अंधेरा है शायद इसलिए रात हो गयी है बेसुध सा शायर अब क़सीदे पढ़े भी क्या उनके हुस्न के दो निगाहों के नजर पूरी कायनात हो गयी है कलम भी मुस्कुरा रहा पन्नों को चुमकर उनको लिखना जैसे कोई सौगात हो गयी है देखो शुरुवात हो गयी है... @prakash_writes_04 #शुरुवात