मुझको तुझपे प्यार नहीं आता कह दिया मैने भी अपने महबूब से जा मुझको तुझपे प्यार नहीं आता पहले जैसा ऐतबार नहीं आता मिल गया महबूब दूसरा मुझको जिसकी अस्मत पर लूटने को हर कोई आमादा लूट गया में भी उसी अस्मत पर जिसका हर कोई चाहने वाला उसके आगे रूप सौंदर्य काम नहीं आता जा मुझको तुझपे प्यार नहीं आता पहले वाला ऐतबार नहीं आता स्वर्ग है जिसके ललाट पर पहने सिर पर ताज हिम का बुद्ध महावीर का ज्ञान यहां का जिसके चरणों सागर धो जाता जा मुझको तुझपे प्यार नहीं आता पहले जैसा ऐतबार नहीं आता कुदरत ने जिसको संवारा हो जिसे प्रताप, शिवा, कलाम ने पूजा हो जिसके जैसा दुनिया में कोई नहीं दूजा हो जिसके लिए बलिदान होने को हर बच्चा हो जहां सैनिकों में दुश्मन के लिए ज्वाला हो ऐसे देश के सिवा और किसी पर प्यार नहीं आता शिव राज खटीक मुझको तुझपे प्यार नहीं आता