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**शायद तू वही है** एक रोज़ चौराहे से जाते वक्त ,

**शायद तू वही है**

एक रोज़ चौराहे से जाते वक्त ,
तुम मुझे पहली द़फा दिखी थी 
लाज़मी था तुम्हारा मुझे अनदेखा करना ,
कौन सा तुम पहले कभी मुझसे मिली थी
कई दोस्तों से जुगाड़ करके ,
उनके खर्चों का बिल भरके 
तुम्हारा नंबर मैंने पाया था ,
पर कमीने यारों ने नंबर के लिए बहुत रुलाया था
वो चेहरा तुम्हारा बस चुका था मेरे दिल में 
खुश था मैं ,क्योंकि तुम्हारा नंबर सेव हो चुका था मेरे सिम में

एक सहर अचानक उसी मोड़ पे, 
उस बाजार के तीखे शोर में
 तुम जो मुझ से टकराई थी
सच कहूं, ऐसा लगा 
ये साजिश उस रब की बनाई थी 
तुमको अचानक करीब देख 
मेरी सांसे दो पल को थम गई 
तुम जो नज़ाकत से सौरी कहकर फौरन वहां से चली गई 
मौतजज़ा ये थी शायद मेरी नब्ज़ थमी सी रह गई
उसी शाम बड़ी हिम्मत से 
मैंने फोन तुम्हें लगाया था
तुम्हारे एक हेलो कौन ने 
मेरी सारी हिम्मत को बिखेरा था
अपने मुक्तसर इश्क़ के जुनून में
मैंने अपने दिल की दास्तान तुम्हें सुनाई थी
मुंतजि़र था पहली दफा तुम मेरी बातों पर मुस्कुराई थी
मेरी इल्तजा़ के इज़हार को मुकम्मल तुमने किया था
ये इशारा था रब का मैंने इश्क़ बड़ी शिद्दत से किया था

अब जो हम तुम साथ हैं हाथों में डाले हाथ हैं 
तुम जिस तरह से मुझे देख रही 
शायद से तुम्हारे दिल में भी मेरे लिए जज्बात हैं

तुम्हारे सिरहाने रख अपने गाल तुम्हारी आंखों में आंखें डाल
मेरा दिल यह चीख चीख कर कहता है 
शायद तू वही है 
शायद तू वही है 
शायद तू वही है ..........



© कव्यप्रिंस #waiting #Love #First  #Try  #Nojoto #Life #friendslovestory #perfect #contribution #Bond
**शायद तू वही है**

एक रोज़ चौराहे से जाते वक्त ,
तुम मुझे पहली द़फा दिखी थी 
लाज़मी था तुम्हारा मुझे अनदेखा करना ,
कौन सा तुम पहले कभी मुझसे मिली थी
कई दोस्तों से जुगाड़ करके ,
उनके खर्चों का बिल भरके 
तुम्हारा नंबर मैंने पाया था ,
पर कमीने यारों ने नंबर के लिए बहुत रुलाया था
वो चेहरा तुम्हारा बस चुका था मेरे दिल में 
खुश था मैं ,क्योंकि तुम्हारा नंबर सेव हो चुका था मेरे सिम में

एक सहर अचानक उसी मोड़ पे, 
उस बाजार के तीखे शोर में
 तुम जो मुझ से टकराई थी
सच कहूं, ऐसा लगा 
ये साजिश उस रब की बनाई थी 
तुमको अचानक करीब देख 
मेरी सांसे दो पल को थम गई 
तुम जो नज़ाकत से सौरी कहकर फौरन वहां से चली गई 
मौतजज़ा ये थी शायद मेरी नब्ज़ थमी सी रह गई
उसी शाम बड़ी हिम्मत से 
मैंने फोन तुम्हें लगाया था
तुम्हारे एक हेलो कौन ने 
मेरी सारी हिम्मत को बिखेरा था
अपने मुक्तसर इश्क़ के जुनून में
मैंने अपने दिल की दास्तान तुम्हें सुनाई थी
मुंतजि़र था पहली दफा तुम मेरी बातों पर मुस्कुराई थी
मेरी इल्तजा़ के इज़हार को मुकम्मल तुमने किया था
ये इशारा था रब का मैंने इश्क़ बड़ी शिद्दत से किया था

अब जो हम तुम साथ हैं हाथों में डाले हाथ हैं 
तुम जिस तरह से मुझे देख रही 
शायद से तुम्हारे दिल में भी मेरे लिए जज्बात हैं

तुम्हारे सिरहाने रख अपने गाल तुम्हारी आंखों में आंखें डाल
मेरा दिल यह चीख चीख कर कहता है 
शायद तू वही है 
शायद तू वही है 
शायद तू वही है ..........



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