दुखियों - बेसहारों पर, हमें हंँसना नहीं आता। आस्तीन का ही साँप बन, डसना नहीं आता। सुन लो पीठ पर खंजर हमेशा घोपने वालों, कलमकार हूं मैं, इसीलिए झुकना नहीं आता। अरुण शुक्ल अर्जुन प्रयागराज (पूर्णत: मौलिक स्वरचित एवं सर्वाधिकार सुरक्षित) hdchhetri 🌹Adhoori Khwahish🌹 Shiv Vinayak Dwivedi Indian Arun Singh Sisodiya Sisodiya Babita Pandey