कहती रही, जो हर सहर, बहती हवा, किसने सुना ? है बुजुर्गों के तले रहती दुआ, किसने सुना ? ऊंची ईमारत में रहे तो आदमी, उंचा है क्या ? एक जरा से दिल में रहता है खुदा, किसने सुना ? बूढ़ी मां की कब हुई अपनी कही, किसने सुना ? झुर्रियों की कोई कीमत कब रही, किसने सुना ? कल सबेरे ही गई थी घर से जो, खुश थी बड़ी, अब तलक ना जाने क्यूं लौटी नहीं, किसने सुना ? किसने सुना है रंज ओ गम, किसने सुनी है बेबसी, कितनी भी तुम आवाज़ दो, पर सच कोई सुनता नहीं, बस इसीलिए, अब मौन हूँ मैं।। कहती रही, जो हर सहर, बहती हवा, किसने सुना ? है बुजुर्गों के तले रहती दुआ, किसने सुना ? ऊंची ईमारत में रहे तो आदमी, उंचा है क्या ? एक जरा से दिल में रहता है खुदा, किसने सुना ?