ऐ ख़ुदा तेरी तस्वीर के इक पहलू जैसे मेरे पिता-मैया। जब दुख दर्द मुझे होता तो, छिप चुप रोती मेरी मैया। अरे दुनिया तो निकालती हैं, सब में कुछ न कुछ कमियां। माँ में ममत्व का संसार बसा, डाँटती पुचकारती मेरी मैया।