#maaPapa
छुड़ा उँगली,चले जिस दिन,बड़ा उस दिन,हुआ हूँ मैं!
लड़कपन खो,गया मेरा,युवा अब ही,हुआ हूँ मैं!
उबलता था,यहाँ तब मैं,शिथिल अब से हुआ हूँ मैं !
बड़ा होना,सरल ही है,बड़ा बनना,बहुत मुश्किल!
बहुत कुछ सीखना होता,तभी होते,सभी काबिल!
भारत भूषण पाठक'देवांश'🙏🌹🙏 #Poetry