प्रकृत्ति की तरह जाे सिर्फ देना जाने-वह है स्त्री प्रकृत्ति की तरह जाे सृजन करे -वह है स्त्री धरा की तरह हर जुल्म -सितम सह जाये- वह है स्त्री हर हाल में,हर काल मे,जिंदगी के संशाधन तलाशती-वह है स्त्री सहनशीलता की जब हाे जाये परकाष्ठा,ताे राैद्र रूप भी दीखलाये-वह है स्त्री ईश्वर की बनायी धूरी पर हीं जाे अविरल,अविराम चलती -वह है स्त्री बसंत हाे या हाे पतझड़,हमेशा मुस्कुराये-वह है स्त्री जीवन की सांझ हाे या हाे सहर कभी ना थके-वह है स्त्री रचना विषय - ' स्त्री ' #हिन्दी_काव्य_कोश 8 पंक्तियों में रचना करें। आपकी रचना मौलिक होनी चाहिए। #yqbaba #tmkosh Image credit- copyright free 🎯 collab करने के बाद विषय के comment में Done लिखें। 🎯 Done न लिखा जाने पर उस रचना को प्रतियोगिता से बाहर समझा जायेगा। 🎯रचना चुनी जाने के बाद दुसरे दिन के विषय पर रचना लिखी जानी चाहिए ताकि सभी रचनाकार आपकी रचनाओं को पढ़ सकें।