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चलते चलते क्यों ठहर गई तू, किसने तेरी राह है रोकी!

चलते चलते क्यों ठहर गई तू,
किसने तेरी राह है रोकी!

इस दुनिया की दौड़ में चलते चलते, 
अपने भी दामन छोड गये!

रोज की इस आपाधापी में,
क्यूँ हम जीना भूल गये!

गैरों के खातिर क्यूँ बहा रहे थे खून पसीना,
जब मन ही मन बेगाने थे!! 

~Vaishali Shukla
@ankahi_ink चलते चलते क्यों ठहर गई तू,
किसने तेरी राह है रोकी!

इस दुनिया की दौड़ में चलते चलते, 
अपने भी दामन छोड गये!

रोज की इस आपाधापी में,
क्यूँ हम जीना भूल गये!
चलते चलते क्यों ठहर गई तू,
किसने तेरी राह है रोकी!

इस दुनिया की दौड़ में चलते चलते, 
अपने भी दामन छोड गये!

रोज की इस आपाधापी में,
क्यूँ हम जीना भूल गये!

गैरों के खातिर क्यूँ बहा रहे थे खून पसीना,
जब मन ही मन बेगाने थे!! 

~Vaishali Shukla
@ankahi_ink चलते चलते क्यों ठहर गई तू,
किसने तेरी राह है रोकी!

इस दुनिया की दौड़ में चलते चलते, 
अपने भी दामन छोड गये!

रोज की इस आपाधापी में,
क्यूँ हम जीना भूल गये!