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भीड़ में कहीं छिप जाता है लोकतंत्र तब भीड़तंत्र बन

भीड़ में कहीं छिप जाता है लोकतंत्र
 तब भीड़तंत्र बन जाता है भेड़िया तंत्र
 बिना किसी उद्देश्य के अनवरत 
चलता रहता है भीड़तंत्र
तब लोकतंत्र को शर्मिंदा करता है भीड़तंत्र

©DR. LAVKESH GANDHI भीड़तंत्र 

#Bheed
भीड़ में कहीं छिप जाता है लोकतंत्र
 तब भीड़तंत्र बन जाता है भेड़िया तंत्र
 बिना किसी उद्देश्य के अनवरत 
चलता रहता है भीड़तंत्र
तब लोकतंत्र को शर्मिंदा करता है भीड़तंत्र

©DR. LAVKESH GANDHI भीड़तंत्र 

#Bheed