समुद्र कमजोर है किनारे बातों से ही छलक जाते मिलकर भी खारे कुछ खोकर भी खारे यह है आंखों की कहानी समुद्र की तरह बहने वाली सपनों के नाम पर चलने वाली बहने का बहाना ढूंढती रहती समुद्र की तरह गोते यह खाती सुख दुख में बहती रहती आस बुझे ना प्यास नींद हो कर इसके पास दो नदियों का यह सागर किनारों से टकराकर है बहता जितनी प्यारी उतनी गहरी कोई समझ नहीं पाया इसमें कितने हैं मोती बूंद बूंद से भर जाती समुद्र की तरह बहती रहती