पलट आ ओ मुसाफ़िर तेरी मंज़िल की ख़ातिर क्यूँ ज़िद पर तू अड़ा है कि मौत पीछे पड़ा है तू अब इंकार मत कर सोच एक पल तू ठहर गलतियां हो जाती हैं कि रास्ते मुड़ जाती हैं सज़ा क्या खुद को देगा खुद से कब तक रूठेगा तेरे लिए जन्नत है हाज़िर पलट आ ओ मुसाफिर । पलट जाना भी होता है मुसाफ़िर को हमेशा रास्ता मंज़िल पे ले ही जाए ज़रूरी तो नहीं होता। #पलटआ #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #dkchindi Collaborating with YourQuote Didi