मैं कश्ती ख़्वाबों की लेकर सागर में रोज उतरता हूँ। चाहत की उठती लहरों में पतवार सम्हाले चलता हूँ। उस ओर किनारे पर मेरा तेरा इन्तज़ार करते रहना। तेरे पलकों की चिलमन से वो प्यार वफ़ा का यूँ बहना। आती जाती इन साँसों में- मैं जीवन बनकर ढलता हूँ। मेरे लिए सँवरती वो मैं उसके लिए सँवरता हूँ। वो मेरे दिल की धड़कन है उसके बिन तो मैं मरता हूँ। ♥️ Challenge-919 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।