फ़साना कोई दिल का तुम सुना दो ना, तड़पती रूह को इस पल सुला दो ना। तू किस्मत में नहीं, कहता ज़माना है, गलत हैं सब, ये सबको तुम दिखा दो ना। एक मतला और एक शेर नज़र कर रहा हूं। ज़िंदगी के बेहद करीब है ये दोनों शेर। और शायद ये इक गुंजारिश भी है अपनी मुहब्बत से। सुनो, तुम लौट आओ ना। तुम्हारा अपना,