इक बीज मैंने बोया था, फूल वो संजोया था, नीर चक्षुओं से रुक ना पाए, बाहों में मेरी जब वो रोया था । इक बीज मैंने बोया था , फूल वो संजोया था , नीर चक्षुओं से रुक ना पाए, बाहों में मेरी जब वो रोया था । मेरे जीवन की तासीर बदली, नन्ही हथेलियों ने तकदीर बदली, वो आया इक फरिश्ता सा,