भारत में विक्षिप्त हुए तो मृत्यु का आलिंगन अच्छा वंचित चिंतित जीवन जीता नित नयनों से नीर को पीता क्षत विक्षत घावों को सीता हस्त जोड़ सब खड़े विनीता संग साथ ना कोई इनके सब उड़ते पतझड़ के तिनके हो दृष्टिगत सनके सनके श्वास श्वास लाचारी खनके पत्थर थप्पड़ मार ये खाते भूखे पेट भजन को गाते बिन वस्त्रो के साज सजाते मध्य मार्ग मूर्छित पड़ जाते नित नवीन नृशंस परीक्षा मृत होती जीवन की इच्छा भारत में विक्षिप्त हुए तो मृत्यु का आलिंगन अच्छा #NojotoQuote