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दुल्हन सुहाग रात है घूंघट उठाने से पह

दुल्हन 
सुहाग   रात   है   घूंघट   उठाने   से   पहले 
करो ये वादा कि मुझको कभी न छोड़ोगो
अगर मैं  भुल से  कर दूँ  कोई ख़ता तो भी
 नाराज़ हो  के  कभी  मुझसे मुंह न मोड़ोगे 





दूल्हा 
ये  मेरा  वादा  है  तुमसे   ऐ  नाज़नीं   मेरी 
मैं जीते जी नहीं तुमको कभी भी छोड़ूंगा 
करो यक़ीन मेरी जान मैं ख़ुदा की क़सम 
नाराज़ हो  के कभी  तुझसे मुंह न मोड़ूंगा 
शौकत अली 'शौकत' दुल्हन 
सुहाग रात है घूंघट उठाने से पहले 
करो ये वादा कि मुझको कभी न छोड़ोगो 
अगर मैं भुल से कर दूँ कोई ख़ता तो भी
नाराज़ हो के कभी मुझसे मुंह न मोड़ोगे
दूल्हा 
ये मेरा वादा है तुमसे ऐ नाज़नीं मेरी 
मैं जीते जी नहीं तुझको कभी भी छोड़ूंगा
दुल्हन 
सुहाग   रात   है   घूंघट   उठाने   से   पहले 
करो ये वादा कि मुझको कभी न छोड़ोगो
अगर मैं  भुल से  कर दूँ  कोई ख़ता तो भी
 नाराज़ हो  के  कभी  मुझसे मुंह न मोड़ोगे 





दूल्हा 
ये  मेरा  वादा  है  तुमसे   ऐ  नाज़नीं   मेरी 
मैं जीते जी नहीं तुमको कभी भी छोड़ूंगा 
करो यक़ीन मेरी जान मैं ख़ुदा की क़सम 
नाराज़ हो  के कभी  तुझसे मुंह न मोड़ूंगा 
शौकत अली 'शौकत' दुल्हन 
सुहाग रात है घूंघट उठाने से पहले 
करो ये वादा कि मुझको कभी न छोड़ोगो 
अगर मैं भुल से कर दूँ कोई ख़ता तो भी
नाराज़ हो के कभी मुझसे मुंह न मोड़ोगे
दूल्हा 
ये मेरा वादा है तुमसे ऐ नाज़नीं मेरी 
मैं जीते जी नहीं तुझको कभी भी छोड़ूंगा