दुल्हन सुहाग रात है घूंघट उठाने से पहले करो ये वादा कि मुझको कभी न छोड़ोगो अगर मैं भुल से कर दूँ कोई ख़ता तो भी नाराज़ हो के कभी मुझसे मुंह न मोड़ोगे दूल्हा ये मेरा वादा है तुमसे ऐ नाज़नीं मेरी मैं जीते जी नहीं तुमको कभी भी छोड़ूंगा करो यक़ीन मेरी जान मैं ख़ुदा की क़सम नाराज़ हो के कभी तुझसे मुंह न मोड़ूंगा शौकत अली 'शौकत' दुल्हन सुहाग रात है घूंघट उठाने से पहले करो ये वादा कि मुझको कभी न छोड़ोगो अगर मैं भुल से कर दूँ कोई ख़ता तो भी नाराज़ हो के कभी मुझसे मुंह न मोड़ोगे दूल्हा ये मेरा वादा है तुमसे ऐ नाज़नीं मेरी मैं जीते जी नहीं तुझको कभी भी छोड़ूंगा