कभी तो #अंधेरा..उजाले को #निगल लेता है , #कभी ये #उजाला..अंधेरे को खा ही जाता है । चल रहे हैं यहां सभी..अपने-अपने #दांव-पेंच , #वक्त जैसे-जैसे...जिस किसी का आता जाता है । ©Anu...Writes #titliyan ❤️ स्वरचित मौलिक पंक्तियां द्वारा अनुपमा ❤️ कभी तो #अंधेरा..उजाले को #निगल लेता है , #कभी ये #उजाला..अंधेरे को खा ही जाता है । चल रहे हैं यहां सभी..अपने-अपने #दांव-पेंच , #वक्त जैसे-जैसे...जिस किसी का आता जाता है ।