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ज़िन्दगी मौत के आगोश में खो रही थी, सब खड़े असीम दुः

ज़िन्दगी मौत के आगोश में खो रही थी,
सब खड़े असीम दुःख में रो रहे थे,
और वो बेफिक्र पड़ी सो रही थी।
न तो किसी अपनें का इन्जार था उसे
और न ही किसी से भी प्यार था उसे।
इस तरह मौत के आगे बेफिक्र पड़ी थी वो,
जैसे अभी तक वो सिर्फ रिश्ते ढो रही थी।
ज़िन्दगी मौत के आगोश में खो रही थी। #hindi#poetry#nojoto#death
ज़िन्दगी मौत के आगोश में खो रही थी,
सब खड़े असीम दुःख में रो रहे थे,
और वो बेफिक्र पड़ी सो रही थी।
न तो किसी अपनें का इन्जार था उसे
और न ही किसी से भी प्यार था उसे।
इस तरह मौत के आगे बेफिक्र पड़ी थी वो,
जैसे अभी तक वो सिर्फ रिश्ते ढो रही थी।
ज़िन्दगी मौत के आगोश में खो रही थी। #hindi#poetry#nojoto#death