Nojoto: Largest Storytelling Platform

_______________________________________ अबके बरस


_______________________________________

अबके बरस यू आंधी आयी बारिश लायी,बाढ़ लायी 
तूफान सा रूप लेकर, सीने में मेरे बार कर गयी.
अपने रौद्र आवेग से,दूर कहिं पटका गयी 
देख मेरी हालत यूँ मुस्कुरा गयीं 
लगी ऐसे इतराने जेसे मुझे हरा गयी

है जो तेरे तरकश में तीर इस कदर गिरा दे मुझे.. 
कर छलनी शरीर मेरा,या कि मार दे मुझे. 
जो रहने दिए शेष श्वास मेरे प्राण में. 
निसंदेह वक्त बदलेगा पछताएगी तू बाद में..

क़ोई बता दो इसे जब तक रहे शेष श्वास  मेरे प्राण मे . 
अंतिम साँस तक में हार कहां मानता हूँ,
भर गुब्बारे मे तुझे,उड़ाना भी मैं जानता हूँ
मुश्किल हो जटिल भी, मैं हार कहां मानता हूँ
अंजाम जीत ही होगी इतना खुद क़ो मैं जानता हूँ
_______________________________________

मौत से यूँ हुआ सामना, जो लगी ललकारने 
मुझसे नहीं क़ोई बड़ा,गरूर से  लगी बतलाने 
साँसे तेरी मैं हर लूँगी. जीवन की डोर हर लूँगी 
हट जा रास्ते से,अपने जीवन के वास्ते 

अब तू भी मेरी बात तो सुन, सावित्री  का इतिहास तो सुन 
ओंधे मुँह तू देखती रह गई,ज़ब पति अपना ये यमराज से ले गई 
मौत तो आनी है आज नहीं तो कल आनी है ये सत्य भी मैं जानता हूँ 
हाँ करू अगर निश्चय तो इसे हराना भी मैं जानता हूँ 

मुश्किल हो जटिल भी, मैं हार कहां मानता हूँ
अंजाम जीत ही होगी इतना खुद क़ो मैं जानता हूँ

                        ✍️✍️  DR Thakur ✍️✍️✍️

©Dole Ram
  #मुश्किल हो जटिल भी
dolsram8787

Dole Ram

New Creator

#मुश्किल हो जटिल भी

27 Views