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मेरे मे हाथो सनम इश्क की लकीर नज़र आती है। तेरी

मेरे मे हाथो सनम  इश्क की लकीर नज़र आती है।

तेरी मुहब्बत मे अब अपनी तक़दीर नज़र आती है।

ये आलम है अब तो मेरी दास्तान-ए-मुहब्बत का।

बारिश की बूंदो मे भी तेरी तस्वीर नज़र आती है।

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शादाब अहमद शादाब अहमद
मेरे मे हाथो सनम  इश्क की लकीर नज़र आती है।

तेरी मुहब्बत मे अब अपनी तक़दीर नज़र आती है।

ये आलम है अब तो मेरी दास्तान-ए-मुहब्बत का।

बारिश की बूंदो मे भी तेरी तस्वीर नज़र आती है।

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शादाब अहमद शादाब अहमद

शादाब अहमद #Shayari