बेरुखी की रात बहुत स्याह होती है जब तक ये स्याह रात गुजरती है तब तक मौत किसी को अपने आगोश में ले लेती है। मत कर बेरुखी मुझ से हो जो बात कह दे मुझसे तेरे बेरुखी ने मेरा चैन छीन लिया है और मुझे तड़पता हुआ बीच मंझधार में छोड़ दिया है । यूं न बीच मंझधार छोड़ कर जा मुझे किनारे तक पहुंचा कर जा हमारी छोटी सी गलती का इतना बड़ा सजा न दो अब तो बाबू मुझे माफ कर दो । ©MUSAFIR ON THE WAY #SunSet Mr Ismail Khan istekhar bhai 6299368815 Sudha Tripathi